क्या झारखंड में इंडिया गठबंधन के कार्यकाल में हो रही है लोकतंत्र की हत्या ? भाजपा पर लोकतांत्रिक व्यवस्था को खत्म करने का आरोप लगाने वाली झामुमो कांग्रेस क्या अब खुद ही इसे खत्म करने की फिराक में है ? क्या हेमंत सरकार के कार्यकाल में संवैधानिक तंत्र विफल हो रहे हैं ?
ये आरोप झामुमो-कांग्रेस के गठबंधन वाले झारखंड सरकार पर तब लगने शुरु हो गये, जब बीते दिनों करार दिया। दरअसल, झारखंड में बीते चार सालों से नगर निकाय का चुनाव नहीं हुआ है, जिसे लेकर पूर्व पार्षद रोशनी खलखो ने झारखंड सरकार के खिलाफ अवमानना याचिका दायर की थी। इस मामले में सुनवाई करते हुए कोर्ट ने नाराजगी जाहिर की है। जस्टिस आनंद सेन की अदालत ने मौखिक टिप्पणी करते हुए कहा कि अगर सरकार पर कोई अनुचित कार्रवाई होती है, तो कहा जाता है कि लोकतंत्र की हत्या हो रही है, लेकिन 4 सालों तक निकाय चुनाव न कराया जाना भी लोकतंत्र की हत्या ही है। इतने दिनों तक शहर के लोगों को उनका प्रतिनिधि न देना लोकतंत्र की हत्या के समान ही है।
आपको बता दें कि रोशनी खलखो ने ये अवमानना याचिका इसलिये दायर की है, क्योंकि हाईकोर्ट की ओऱ से 4 जनवरी 2024 को सरकार को 3 सप्ताह में निकाय चुनाव कराने का निर्देश दिया गया था। तब सुनवाई के दौरान राज्य सरकार की ओर से दलील पेश की गयी कि विकास किशन राव गवली बनाम महाराष्ट्र सरकार मामले में सुप्रीम कोर्ट ने ट्रिपल टेस्ट कराकर ही निकाय या पंचायत चुनाव कराने का निर्देश दिया। इसका विरोध करते हुए प्रार्थी की ओऱ से कहा गया कि सरकार अधूरा जवाब देकर कोर्ट को दिग्भ्रमित करने का काम कर रही है। सुप्रीम कोर्ट ने सुरेश महाजन बनाम मध्य प्रदेश मामले में स्पष्ट आदेश दिया कि ओबीसी ट्रिपल टेस्ट कराकर ही निकाय या पंचायत चुनाव कराये जाने चाहिये, लेकिन इसका ये मतलब नहीं कि चुनाव ही न कराया जाये। समय पर चुनाव न कराना और इसे रोक कर रखना संविधान की मूल अवधारणा का हनन है। संविधान का आर्टिकल 243 स्पष्ट करता है कि चुनाव समय पर कराना अनिवार्य है। ओबीसी आरक्षण तय करके चुनाव कराना प्रक्रिया का हिस्सा है, लेकिन इस आधार पर चुनाव न कराना लोकतंत्र की हत्या जैसा है। दलीलों को सुनने के बाद अदालत ने कहा था कि नगर निगम और नगर निकाय का कार्यकाल समाप्त होने के बाद काफी समय बीतने पर भी चुनाव नहीं कराया गया। प्रशासक के जरिये नगर निकाय चलाया जा रहा है। यह लोकतांत्रिक व्यवस्था के लिये उचित नहीं है। चुनाव न कराना संवैधानिक तंत्र की विफलता है। इसके बाद अदालत ने राज्य सरकार को 3 सप्ताह के भीतर निकाय चुनाव कराने का निर्दश दिया था। बता दें कि राज्य के 48 नगर निकायों में से 14 में साल 2020 से चुनाव लंबित है। वहीं, 34 निकायों का कार्यकाल अप्रैल 2023 में पूरा हो गया.
अब कोर्ट ने राज्य सरकार को 2 सप्ताह में नगर निकाय चुनाव पर फैसला लेने का निर्देश दिया है। अब दो सप्ताह बाद इस पर सुनवाई होगी।