L19 DESK : डॉक्यूमेंट्स, ईमेल्स और कुछ इंटरव्यूज से पता लगा है कि 7 अक्टूबर को इजराइल पर हुए हमास के हमले प्रीप्लान्ड थे। हैरत की बात यह है कि इजराइल की फौज और खुफिया एजेंसी मोसाद को भी इनकी जानकारी थी, लेकिन वो इसे नजरअंदाज करते रहे कि हमास के पास इस तरह के हमलों की काबिलियत नहीं है। 7 अक्टूबर को हुए हमलों में 1200 इजराइली और कुछ विदेशी लोग मारे गए थे। इसके बाद इजराइल ने हमास के खिलाफ जंग छेड़ दी।
हमले रोकने में नाकामी की जांच, इसके दस्तावेज का कोड नेम जेरिको वॉल
इजराइल में अब 7 अक्टूबर के हमलों को रोकने में नाकामी की जांच हो रही है। 40 पेज का डॉक्यूमेंट तैयार किया गया है। इसको ‘जेरिको वॉल’ कोड नेम दिया गया है। हालांकि, यह नया नाम नहीं है। इजराइल में किसी इंटेलिजेंस या मिलिट्री डॉक्यूमेंट या एसेसमेंट को यही नाम दिया जाता है। इस डॉक्यूमेंट में हर स्तर पर हुई नाकामी को सिलसिलेवार तरीके से बताया गया है। मूल रूप से यह दस्तावेज हिब्रू में है, लेकिन ‘न्यूयॉर्क टाइम्स’ के पास इसका ट्रांसलेशन मौजूद है। इसमें हमास के हमलों की किसी तारीख का जिक्र नहीं है, लेकिन इतना जरूर बताया गया है कि गाजा पट्टी में जबरदस्त सैन्य तैयारियां की गईं थीं।
इनका मकसद इजराइली शहरों पर हमले के अलावा उसके मिलिट्री बेसेस और डिवीजनल हेडक्वॉर्टर्स को टारगेट करना था। हमास ने 7 अक्टूबर के हमलों को सटीक तरीके से अंजाम दिया। रॉकेट दागे गए, ड्रोन्स के जरिए सिक्योरिटी कैमरे तबाह किए गए और बॉर्डर पर मशीन गन से हमले किए गए। पैराग्लाइडर्स, बाइक्स और जमीनी रास्ते से हमास के आतंकी इजराइल में दाखिल हुए। हमास के पास इजराइली मिलिट्री के बारे में काफी डिटेल में जानकारी थी। अब सवाल यह है कि हमास ने इतनी खुफिया इन्फॉर्मेशन आखिर कैसे जुटाई।
जेरिको वॉल इजराइली मिलिट्री और इंटेलिजेंस अफसरों के पास मौजूद है। एक्सपर्ट्स मानते हैं कि इतने बड़े पैमाने पर हमला हमास के बूते से बाहर की बात है। यही बात डॉक्यूमेंट में भी कही गई है और इसे इजराइली अफसर भी मानते हैं। हालांकि, यह साफ नहीं है कि प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू और दूसरे पॉलिटिकल लीडर्स ने यह डॉक्यूमेंट देखा है या नहीं। पिछले साल इजराइली सरकार को हमास के इरादों की भनक लगी थी। उस दौरान इजराइली फौज के गाजा डिवीजन ने कहा था कि हमास के इरादों का साफतौर पर अंदाजा नहीं लगाया जा सकता।
इसी डिवीजन पर गाजा बॉर्डर की सिक्योरिटी की जिम्मेदारी है। इसी साल जुलाई में इजराइल की यूनिट 8200 के एक सीनियर एनालिस्ट ने आगाह किया था कि हमास बड़े हमले की तैयारी कर रहा है। हैरानी की बात यह है कि गाजा डिवीजन के एक कर्नल ने इस वॉर्निंग को गंभीरता से नहीं लिया। इस बारे में एक मेल सबूत के तौर पर मौजूद है। अब यह एनालिस्ट कहती हैं- मेरी बात को काल्पनिक समझा गया और अब यही जेरिको वॉल डॉक्यूमेंट में लिखा है। यह महज किसी एक गांव पर रेड की कोशिश नहीं थी। हमास ने जंग का प्लान बनाया था।
कुछ अफसर निजी बातचीत में सवालिया निशान लगाते हुए पूछते हैं कि इजराइली फौज ने इस वॉर्निंग को गंभीरता से लिया? क्या साउथ इजराइल में फौज की तैनाती में इजाफा किया गया? अगर तैयारी पुख्ता होती तो न सिर्फ हमलों को रोका जा सकता था, बल्कि उसी वक्त करारा जवाब दिया जा सकता था।
हुआ उल्टा, इजराइली फौज तैयार नहीं थी और गाजा पट्टी से निकलकर आतंकी इजराइल में घुस गए। इजराइली सिक्योरिटी ऑफिशियल्स पहले ही मान चुके हैं कि वे देश की हिफाजत में नाकाम रहे। माना जा रहा है कि सरकार एक जांच कमीशन बनाने जा रही है जो हमले रोकने में हुई नाकामी की हर पहलू से जांच करेगा। जेरिको वॉल डॉक्यूमेंट के बारे मे अफसर भी मानते हैं कि ये अरब-इजराइल जंग 1973 के बाद पहली बार खुफिया और फौजी नाकामी का सबसे अहम दस्तावेज है। मोटे तौर पर इस डॉक्यूमेंट से एक चीज तो साफ हो ही जाती है और इसे इजराइली अफसर भी मानते हैं।
माना ये जाता है कि इजराइल की सिक्योरिटी के जिम्मेदार लोगों को यह मुगालता रहा कि ये आतंकी संगठन इतना खौफनाक हमला नहीं कर सकता या उसके पास ऐसा करने की काबिलियत नहीं है। हालांकि, अब ये जिम्मेदार इन मुद्दों पर जवाब देने से बच रहे हैं।