L19 DESK : हिंदू धर्म में हरतालिका तीज का खास महत्व है। हिंदू पंचांग के अनुसार, हर साल हरतालिका तीज व्रत भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को होता है।हरतालिका तीज को सबसे बड़ी तीज माना माना जाता है। बता दे की इस तीज से पहले हरियाली तीज और कजरी तीज आती है। हरतालिका तीज में भगवान शिव और माता पार्वती की विधिवत पूजा की जाती है। ऐसी मान्यता है कि इस व्रत को करने से अखंड सौभाग्य की प्राप्ति होती है।
हरतालिका तीज व्रत कठिन व्रतों में से एक माना गया है। इस दिन सुहागिनें निर्जला व्रत रखकर पति की लंबी आयु की कामना करती हैं। इस व्रत को कुंवारी कन्याएं भी रखती हैं। मान्यता है कि भगवान शिव और माता पार्वती की कृपा से कुंवारी कन्याओं को सुयोग्य वर की प्राप्ति होती है।
कब है पूजा की शुभमुहूर्त
हिंदू पंचांग के मुताबिक , तृतीया तिथि 17 सितंबर 2023 को सुबह 11 बजकर 08 मिनट पर प्रारंभ होगी और 18 सितंबर को दोपहर 12 बजकर 39 मिनट पर समाप्त होगी। 18 सितंबर को सुबह के समय हरतालिका पूजा मुहूर्त सुबह 06 बजकर 07 मिनट से सुबह 08 बजकर 34 मिनट तक है। पूजन की कुल अवधि 02 घंटे 27 मिनट की है।
ये है हरितालिका तीज पूजा की विधि
- हरितालिका तीज में श्रीगणेश, भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा की जाती है।
- सबसे पहले मिट्टी से तीनों की प्रतिमा बनाएं और भगवान गणेश को तिलक करके दूर्वा अर्पित करें।
- इसके बाद भगवान शिव को फूल, बेलपत्र और शमिपत्री अर्पित करें और माता पार्वती को श्रृंगार का सामान अर्पित करें।
- तीनों देवताओं को वस्त्र अर्पित करने के बाद हरितालिका तीज व्रत कथा सुनें या पढ़ें।
- इसके बाद श्रीगणेश की आरती करें और भगवान शिव और माता पार्वती की आरती उतारने के बाद भोग लगाएं।