L19/Ranchi : भारतमाला प्रोजेक्ट के भूमि अधिग्रहण के लिए दिये जानेवाले कंपेंसेसन को लेकर नया विवाद शुरू हो गया है। 45 करोड़ से अधिक राशि का मुआवजा भुगतान जिला भू अर्जन कार्यालय रांची की ओर से किया जाना है।
ओरमांझी अंचल की तरफ से ऑनलाइन आधार पर चढ़ाये गये पंजी-2 और खतियान के आधार पर मुआवजे का राशि दिया जा रहा है। ऑनलाइन में 100 से अधिक रैयत खाता 214, खेवट-14 के दिखाये जाते हैं। जबकि मूल रैयत डॉ हर गौरी लाल नाथ शाहदेव ने जिला प्रशासन और सरकार को पत्र लिख कर कहा है कि खाता-214 की जमीन उनकी है। 45 करोड़ के मुआवजे की राशि का बंटवारा तत्काल रोका जाये। उनके इस पर रांची जिला प्रशासन ने वास्तविक मालिक को हाईकोर्ट से स्टे लाने का आदेश दिया है। यह और कोई नहीं बल्कि अपर जिला भू अर्जन पदाधिकारी सह अंचल अधिकारी विजय केरकेट्टा ने दिया है।
रैयतों को पैसा दिलाने के नाम पर 30 प्रतिशत कमीशन की मांग
बताते चलें कि केंद्र सरकार के नेशनल हाइवे अथोरिटी ऑफ इंडिया (एनएचएआइ) की तरफ से ओरमांझी से बोकारो तक के लिए फोर लेनिंग का काम शुरू किया गया है। इसको लेकर ओरमांझी के तापे, आनंदी, मूटा मौजा की 130 एकड़ से अधिक जमीन लिया जाना है। सिर्फ तापे मौजा का 50 एकड़ से अधिक जमीन एनएचएआइ की तरफ से लिया जा रहा है। जिला प्रशासन के मुआवजे को लेकर जमीन दलालों का एक गिरोह भी सक्रिय हो गया है, जो अपर जिला भू अर्जन पदाधिकारी और जिला भू अर्जन पदाधिकारी के दफ्तर और रैयतों (फरजी) के बीच लायजनिंग का काम कर रहा है। रैयतों को पैसा दिलाने के नाम पर 30 प्रतिशत कमीशन मांगा जा रहा है।
रैयत असली हैं या फरजी इस पर सवालिया निशान
बताते चलें कि मौजा तापे में बकास्त मालिक के नाम से खाता संख्या 1024, 1208,1209, 12010, 1215, 1250, 1252, 1251 /1302, 1250/1303, 1257. 1259, 1261, 1262, 1272, 1279, 1280, 1284, 1285, 1287, 1271 है। इस जमीन की मिल्कियत लाल हर गौरी नाथ शाहदेव के पूर्वजों की है। अविभाजित बिरा के समय एक जनवरी 1976 को प्रकाशित जिला गजट में ओरमांझी के तापे मौजा के विभिन्न खातों के लिए 138.04 एकड़ जमीन होने की बातें प्रकाशित की गयी थी। इसके अलावा सरकार के पास कोई रिकार्ड नहीं है। जिला प्रशासन की तरफ से भारतमाला परियोजना के तहत ओरमांझी से गोला सेक्शन तक की जो भूमि अधिग्रहण की सूची तैयार की गयी है, उसमें रैयतों के नाम भी दिये गये हैं। ये रैयत असली हैं या फरजी इस पर अभी सवालिया निशान लगा हुआ है।
38 एकड़ जमीन अधिग्रहित करने के लिए बकास्त मालिक
अंचल कार्यालय की तरफ से 38 एकड़ जमीन अधिग्रहित करने के लिए बकास्त मालिक, आसाम फनवियर टी कंपनी, मंगरू मुंडा, निर्मल ठाकुर, जयमंगल करमाली, बल्कु लोहरा, महेंद्र नाथ पाल, राघो बेदिया, सुकरा मुंडा, सीताराम महतो, पलचु बेदिया, सुकरा बेदिया, धूमेश महतो, गीता देवी, बकास्त मालिक, बाकुलाल महतो, ललकु मुंडा, महेंद्र पाल, महेंद्र नाथ पाल, मंझरू मुंडा, बुधु मुंडा के 12 परिवारों का नाम तय किया गया है। क्या है पूरा मामला मूल रैयत लाल हर गौरी नाथ शाहदेव का कहना है कि कोलकाता डीड से तीन जनवरी 1961 जालान इनवेस्टमेंट्स (प्राइवेट) लिमिटेड के नाम से एक ट्रस्ट बनाया गया। इसमें मुरलीधर जालान (पिता सूरजमल जालान), महादेव जालान, महाबीर प्रसाद जालान, मदन मोहन जालान ने एक ट्रस्ट बनाया। ट्रस्ट की तरफ से मुख्य न्यासी भूरी देवी जालान, जो मुरलीधर जालान की पत्नी थीं के नाम से सुवर्णरेखा एग्रीकल्चरल इस्टेट बनाया गया।
7.11.1961 को एक रजिस्टर्ड डीड असम इस्टेट टी कपनी के लिए तैयार किया गया। इस डीड को तैयार करानेवालों में जालान इनवेस्टमेंट (प्राइवेट) लिमिटेड महाबीर प्रसाद जालान, मुरलीधर जालान, मदन मोहन जालान और अन्य शामिल थे। इस डीड में बरगांवा, चामा, लाल खटंगा, गाड़ीगांव, ओरमांझी का तापे मौजा, दूदिया, महेशपुर, सरेका, गेतलसूद, आनंदी, खूटा, मजूसिया, हेंदेबिली की जमीन निबंधित की गयी। इसके लिए 16 नवंबर 1961 को 7.25 लाख रुपये का भुगतान किया गया।