L19 DESK : छोटानागपुर टेनेंसी (सीएनटी) एक्ट में सरकार बदलाव करेगी। इसके तहत जमीन खरीद में थाना क्षेत्र की बाध्यता समाप्त कर दी जाएगी। आदिवासी जमीन पर बैंकों और अन्य वित्तीय संस्थानों से लोन दिलाने का प्रावधान भी किया जाएगा। सरकार ने इस परविचार किया है। CNT एक्ट पर संशोधन प्रस्ताव तैयार कर इसे टीएसी की बैठक में रखा जाएगा। टीएसी से मंजूरी मिलने के बाद इसे लागू किया जाएगा।
एक्ट में संशोधन के लिए सरकार जल्द प्रस्ताव तैयार करने वाली है। प्रस्ताव तैयार करने में संबंधित विशेषज्ञों की मदद ली जाएगी, ताकि किसी प्रकार की इसमे त्रुटि न रह जाए। जमीन खरीदने की थाना क्षेत्र की बाध्यता समाप्त होने के बाद राज्य के आदिवासी एक शहर से दूसरे शहर, एक गांव से दूसरे गांव में बस सकते हैं। हालांकि अभी ऐसा करने का प्रावधान नहीं है। अभी आदिवासी अपने ही थाना क्षेत्र में रहने वालों के बीच ही जमीन की खरीद-बिक्री कर सकते हैं।
बता दे इस प्रावधान को लंबे समय से हटाने की मांग हो रही थी। एक-दो बार इस पर काम भी शुरू किया गया, लेकिन पूरा नहीं हो सका। इस बार सरकार सभी संवैधानिक पहलु, नियम और प्रावधानों का अध्ययन और इससे जुड़े विशेषज्ञों की राय के बाद एक्ट में संशोधन करने की तैयारी में है। आदिवासी जमीन पर अभी बैंक और अन्य वित्तीय संस्थान लोन नहीं देते हैं। एक्ट की जमीन रहने के कारण आदिवासी जमीन पर बैंक लोन नहीं देते हैं। इससे आदिवासियों को परेशानी हो रही है। सरकार एक्ट में संशोधन कर बैंक से लोन दिलाने का भी प्रावधान करने की तैयारी में है।
सभी प्रावधानों व प्रस्तावों को टीएसी के माध्यम से कानून का रूप देने की योजना बनाई गई है।नियमावली पर भी होगी चर्चासीएनटी में संशोधन से पहले सरकार को टीएसी की नई नियमावली के विवाद पर भी गौर करना होगा। टीआरआई के सहयोग से टीएसी की नियमावली बनायी गयी है, जिसे कैबिनेट ने मंजूरी दी है। बिहार में1997 में बनी टीएसी नियमावली में राज्यपाल को अधिकार दिया गया है जिसे झारखंड सरकार ने अंगीकार किया था। जब छत्तीसगढ़ में रमण सिंह सरकार में टीएसी की नियमावली को झारखंड सरकार ने अंगीकार किया तब टीएसी के वैध-अवैध का मामला राजभवन से उठने लगा। नई नियमावली में राज्यपाल की शक्तियों को गौण कर दिया गया है।
बता दे की इससे पहले भी संशोधन सीएनटी एक्ट के विशेषज्ञ व कानूनविद अधिवक्ता रश्मि कात्यायन के अनुसार सीएनटी एक्ट में अब तक 53 बार संशोधन किया जा चुका है। 1996 में तत्कालीन मुख्यमंत्री लालू प्रसाद के समय खदानों व उद्योगों को जमीन देने के लिए एक्ट में थोड़े बदलाव किया गए थे।