L19/Ranchi : रांची गौशाला न्यास समिति की कांके के बुकरू स्थित बाढ़ू गांव की जमीन पर एक्वा पोलिमर पानी टंकी का प्लांट चल रहा है। यह प्लांट किसी अरविंद बंका की बतायी जा रही है। राजधानी रांची के हरमू चौक से बाढ़ू की दूरी 14 से 15 किलोमीटर है।
बाढ़ू रांची-पतरातू-रामगढ़ के फोर-लेन सड़क से सटा हुआ है। फोर लेन बनने के बाद इस जमीन की कीमत काफी अधिक बढ़ी है। लेकिन जिस तरह रांची गौशाला न्यास समिति के सदस्यों और न्यासी ने मिल कर घालमेल किया है, उससे यह स्पष्ट होता है कि गौशाला की जमीन की कीमत हजारों में नहीं थी, पर वास्तविकता कुछ अलग है। 2021 से पहले से पानी की टंकी का निर्माण एक्वा पालिमर में हो रहा है। यह कंपनी संजीव खिरवाल के रिश्तेदार की है, जिनके बारे में कहा जाता है कि उन्होंने इंडियन बैंक से कर्जा भी लिया है। लोकतंत्र 19 की टीम ने ग्राउंड जीरो पर जाकर स्थिति को जानने-समझने का प्रयास किया है कि कैसे जमीन का यह बड़ा खेल हुआ है।
12 करोड़ में हुआ था जमीन का सौदा
सूत्रों का कहना है कि रांची गौशाला एक पुरानी संस्था है। रांची के किशोरगंज में रांची गौशाला न्यास समिति का कार्यालय है। इसके अलावा ओरमांझी, सुकुरहुट्टू और अन्य जगहों में भी गौशाला के केंद्र स्थापित हैं। बाढ़ू में जिस तर संस्था की जमीन वर्तमान सचिव प्रदीप राजगढ़िया की तरफ से 7174 रुपये प्रति डिसमिल की दर से गोपालका प्रोजेक्ट्स को निबंधन किया गया है। उसमें एक बड़ा लोचा सामने आया। समिति के कुछ लोग कह रहे है कि जमीन का सौदा 2 लाख रुपये डिसमिल यानी 12 करोड़ में पूरा सौदा हुआ, कागज में दिखाया गया 43 लाख रुपए बाकी का राशि गया कहाँ। यहां के एक एकड़ जमीन पर एक्वा पोलिमर नाम की पानी की टंकी का उत्पादन हो रहा है। प्लांट तक आने जाने तक सड़क है। सिर्फ प्लांट से लेकर पांच सौ मीटर तक की दूरी की सड़क कच्ची है। बाकी बाढ़ू चौक से लेकर एक किलोमीटर तक की पक्की सड़क है। यहां पर रहनेवाली मुस्लिम आबादी की तरफ से सड़क के दोनों ओर मकान बनाये गये हैं। हमें सचिव प्रदीप राजगढ़िया ने बताया था कि जहां गौशला की जमीन है, वहां आने-जाने में काफी दिक्कत होती थी। गांव वाले काफी अड़ंगा लगाते थे। जब अड़ंगा ही था, तो रजिस्ट्री से पहले पानी की टंकी का उत्पादन कैसे शुरू हुआ, यह एक बड़ा सवाल है।
केडिया ने गौशला की कुल 15.98 एकड़ जमीन में से अपने पास नौ एकड़ जमीन रखी
समिति के सदस्यों का कहना है कि नौ साल पहले यदि गोपालका प्रोजेक्ट्स को 5.85 एकड़ जमीन दी गयी, तो क्या उसी रेट पर 2021 में भी छह एकड़ से अधिक जमीन की रजिस्ट्री कर दी गयी। अब आपको हम यह भी बताते हैं कि जहां रांची गौशाला न्यास समिति की जमीन थी, वहां पर आदिवासी जमीन एक लाख रुपये डिसमिल है। अन्य जमीन की कीमत पांच से छह लाख रुपये डिसमिल है। यानी 50 से 60 करोड़ की जमीन की खरीद-बिक्री राजकुमार केडिया, संजीव खिरवाल, अरविंद बंका ने की। सूत्र बताते हैं की राजकुमार केडिया ने गौशला की कुल 15.98 एकड़ जमीन में से अपने पास नौ एकड़ जमीन रखी है। किशन गोपालका जो गोपालका प्रोजेक्ट्स से जुड़े हैं, उनके पास चार एकड़ जमीन, संजीव खिरवाल के पास दो एकड़ और अरविंद बंका के पास एक एकड़ जमीन है। राजकुमार केडिया के रिश्तेदार किशन गोपालका हैं। किशन गोपालका से संजीव खिरवाल जुड़े हैं। संजीव खिरवाल का साला अऱविंद बंका हैं। इनका नाम रांची के एक बड़े व्यावसायी से भी जोड़ा जा रहा है। जुलाई 2021 में बना। डीड के हिसाब से करोड़ों की जमीन की लागत कुछ लाख रुपये में दिखायी गयी है। इसमें राजकुमार केडिया, जो न्यासी हैं और संस्था के सचिव प्रदीप राजगढ़िया की भूमिका न सिर्फ संदिग्ध है, बल्कि कच्चा-पक्का का सारा खेल इनके माध्यम से ही हुआ है।
क्या कहते हैं ग्रामीण
बाढ़ू के ग्रामीणों ने नाम नहीं छापने की शर्त पर बताया कि गौशाला की जमीन 60 के दशक में दी गयी थी। उस समय के रैयत जिन्होंने गौशाला को जमीन दी है, उन्हें आज तक पर्याप्त हक नहीं मिला है। स्पाट पर पत्थर के पाइलिंग तक लगाये गये हैं। आसपास की जमीन अभी तक बंजर औऱ परती पड़ी हुई है। आसपास के चरवाहे ने बताया कि जमीन पर टाइटल का मुकदमा भी चल रहा है।