L19 DESK : झारखंड में सरकारी स्कूलों में बच्चों को वितरण की जाने वाली साइकिल फाइलों की गड़बड़ी होने से फंस गई है। 4 साल से इंतजार कर रहे है बच्चे। बता दे झारखंड में साइकिल वितरण की योजना डीबीटी से शुरू होकर टेंडर में दम तोड़ देती है। झारखंड में 8वीं कक्षा में पढ़ने वाले छात्र-छात्राओं को सरकार द्वारा साइकिल दी जाती है। अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, अन्य पिछड़ा वर्ग और अल्पसंख्यक श्रेणी के लाभुकों को इसका लाभ दिया जाता है। यह साइकिल बच्चों को निशुल्क दी जाती है लेकिन 4 साल से बच्चों को साइकिल नहीं मिली है। इस बीच कई बैच सरकारी स्कूलों में पढ़कर आगे निकल गए।
राज्य सरकार के आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक प्रदेश के सरकारी स्कूलों में साइकिल वितरण के लाभार्थी छात्र-छात्राओं की संख्या 3 लाख से ज्यादाहो गई है। वित्तीय वर्ष 2020-21 से लेकर वित्तीय वर्ष 2022-23 तक बच्चों को साइकिल नहीं मिली है। कल्याण विभाग के द्वारा इस योजना की एक भी राशि इन 4 वर्षों में सरकार ने खर्च नहीं किया। सरकार कभी कहती है कि बच्चों को सीधे डीबीटी के माध्यम से साइकिल खरीद की राशि भेज दी जाएगी तो कभी कहा कि सरकार खुद साइकिल खरीद कर बच्चों में वितरित करेगी। इसी डीबीटी और टेंडर के खेल में साइकिल वितरण योजना पिछले 4 साल से अटकी है।
साइकिल वितरण के लिए राज्य सरकार 1 साल में 122 करोड़ रुपये के बजट का प्रावधान करती है। बीते 3 साल में साइकिल का वितरण नहीं किया गया। मतलब 366 करोड़ रुपये खर्च ही नहीं हो पाए हैं। निकट भविष्य में भी इसकी संभावना नहीं दिखती। रघुवर दास के कार्यकाल से ही साइकिल का पैसा सीधे बच्चों के खाते में डीबीटी के माध्यम से भेज दिया जाता था। 2020 में कोरोना महामारी की वजह से लॉकडाउन लगा। पूरे 2 साल तक ऑनलाइन क्लासेज आयोजित की गईं। इस दौरान ना तो स्कूलों में साइकिल का वितरण किया गया और ना ही खाते में पैसे भेजे गए।