L19 DESK : 30 मई को हर वर्ष हिंदी पत्रकारिता दिवस के रूप में मनाया जाता है। मगर क्या आपको इस दिवस के मनाने के पीछे की वजह के बारे में पता है? और हिंदी पत्रकारिता का इतिहास क्या है? आइये जानते हैं इन सब के बारे में।
हिंदी पत्रकारिता का इतिहास
दरअसल आज से 197 साल पहले यानि वर्ष 1826 मेंं इसी दिन पहली हिंदी भाषी अखबार की शुरुआत हुई थी। इस अखबार का नाम था “उदंत मार्तण्ड।” इसके प्रकाशन की शुरुआत पंडित जुगल किशोर शुक्ल ने तत्कालीन कलकत्ता शहर से किया था। इसके प्रकाशन और संपादन की जिम्मेदारी स्वयं जुगल किशोर ने ले रखी थी। मूल रूप से कानपुर के रहने वाले जुगल किशोर शुक्ल वकील भी थे।
उन्होंने कलकत्ता को अपनी कर्मभूमि बनाया और वकालत के साथ साथ पत्रकारिता और संपादन में भी उन्होंने अपनी पकड़ बना ली। उन्होंने कलकत्ता के बड़ा बाजार इलाके में अमर तल्ला लेन, कोलूटोला से ‘उदन्त मार्तण्ड’ अखबार का प्रकाशन शुरू किया था। यह साप्ताहिक अखबार हर हफ्ते मंगलवार को पाठकों तक पहुंचता था।
बता दें, बुद्धिजीवियों की भूमि कहा जाना वाला तत्कालीन कलकत्ता उस वक्त भारत की राजधानी थी जिसे पंडित शुक्ल ने अपनी कर्मभूमि बनायी। इसके अलावा, अंग्रेजी के बाद बांग्ला और उर्दू का काफी प्रभाव था। इसलिये अधिकांश अखबारों को उस वक्त अंग्रेजी, बांग्ला और फारसी में छापा जाता था।
‘उदन्त मार्तण्ड’ के पहले अंक की 500 प्रतियां छापी गई थीं, हालांकि उस समय इस अखबार को ज्यादा पाठक नहीं मिले थे। मगर, कलकत्ता में हिंदी अखबार के पाठक बहुत कम होने की वजह से इसे डाक से अन्य राज्यों में भेजना पड़ता था।
हालांकि, डाक से भेजना उस समय काफी महंगा सौदा था। जुगल किशोर ने अंग्रेज सरकारो को कई बार डाक दरों में रियायत का अनुरोध किया, पर कोई समाधान नहीं निकला। नतीजा यह रहा कि आर्थिक तंगी के चलते ‘उदन्त मार्तण्ड’ ज्यादा दिनों तक नहीं छप सकी और 4 दिसंबर 1826 को यह अखबार बंद हो गया।
इसके बाद से ही अन्य हिंदी अखबारों का प्रचलन देशभर में आया। इसलिये इस दिवस को हिंदी पत्रकारिता दिवस के रुप में मनाया जाता है।