L19/Bokaro : झारखंड बंगाल के वन विभाग के बीच सीमा विवाद एक बार फिर होने लगा है। बोकारो के सेवती घाटी के ग्रामीण यहां की जमीन को झारखंड का बता रहे हैं , वहीं दूसरी ओर बंगाल के फॉरेस्ट रेंजर्स इस जमीन पर अपना दावा कर रही है। बोकारो के सेवती घाटी क्षेत्र के ग्रामीण तथा बंगाल के वन विभाग के बीच सीमा विवाद सालों से जारी है आज तक इस विवाद का समाधान नहीं किया जा सका है। लगातार तीन दिनों से जमीन की मापी कराई जा रही है, लेकिन अभी तक इसका कोई नतीजा नहीं निकल पाया है।
बंगाल वन विभाग ने जिस जगह पर अपना बोर्ड लगाया है। उसे झारखंड का हिस्सा बताया जा रहा है। झारखंड बंगाल के वनकर्मियों ने अपने-अपने अमीन के साथ घाटी को मापी की है, लेकिन मापी के बाद भी कोई ठोस नतीजा नहीं निकल सका है। ग्रामीणों का कहना है यह घाटी बोकारो वन प्रमंडल का इलाका है जहां पर सड़क निर्माण कार्य खत्म हुआ है वहां पुलिया ही झारखंड बंगाल का बॉर्डर है, लेकिन बंगाल के झालदा इलाके के रेंजर्स का कहना है कि झरने से 200 फीट अंदर बंगाल फॉरेस्ट की जमीन है। जहां ग्रामीण इस इलाके को झारखंड का बता रहे हैं तो दूसरी ओर बंगाल के फॉरेस्ट रेंजर्स इस जमीन पर अपना दावा कर रहे है।
जिससे ग्रामीण काफी आक्रोश हैं उनका कहना है कि यह इलाका उनकी सांस्कृतिक धरोहर से जुड़ा हुआ है झारखंड सरकार ने इसे पर्यटन स्थल घोषित किया है ऐसे में वो किसी कीमत पर अपनी जमीन बंगाल को नहीं देंगे। यह जमीन सीमा विवाद अब बोकारो का विवाद नहीं रह गया है बल्कि ये झारखंड बंगाल के बीच अंतर्राजीय सीमा विवाद बन गया है। लोगो का कहना है की उनके पूर्वज सेवाती झरने को ही बॉर्डर मानते आये है । जहां बंगाल झारखंड के लोग टुसु विसर्जन करने के लिए आते थे, लेकिन अब उनके इलाके पर बंगाल के वन कर्मचारी दावा कर रहे हैं जो सरासर गलत है। जरूरत है कि दोनों ही राज्यों के अधिकारियों की निगरानी में जमीन की मापी कराई जाए ताकि सालों से चलने वाले इस विवाद को खत्म किया जा सके।