L19/Bokaro : इस्पात संयंत्र के एस पौंड के विस्थापित गांव के विस्थापित अब दो पक्षों में बट कर अलग-अलग आंदोलन पर उतर गए हैं, एक पक्ष आउटसोर्सिंग का काम चालू कराने में लगा है, तो दूसरा पक्ष इसका विरोध कर काम बंद कराने पर अड़ा है। एक पक्ष से विस्थापितों का नेतृत्व कर रहे नितिन सिंह ने कहां की आउटसोर्सिंग का काम बंद होने से विस्थापित बेरोजगार हो गए हैं,और एस पॉड का सफाई नहीं होने से एस पॉड का गंदा पानी घरों में घुस रहा है। जिससे यहां के विस्थापित परेशान हैं उन्होंने दूसरे पक्ष पर आरोप लगाते हुए कहा कि दूसरे पक्ष के लोग अपने नाम एस पॉड का टेंडर लेने को लेकर राजनीति कर रहा है । पिछले कई दिनों से आउटसोर्सिंग का काम बंद करा कर धरने पर बैठा हुआ है,और काम नहीं होने दे रहा है । वह लोग ठेका कंपनी से मोटे कमीशन के डिमांड कर काम को बंद कराने में तुला हुआ है, वहीं दूसरे पक्ष से विस्थापित नेता रघुनाथ महतो का कहना है, कि मुझे ठेका टेंडर नहीं चाहिए हमारी नीति साफ है ।
कि यहां कि विस्थापितों को रोजगार मिलना चाहिए । हमारी लड़ाई यहां के विस्थापितों से नहीं बल्कि जिला प्रशासन और सेल मैनेजमेंट से है, जितने भी एस पॉड से प्रभावित गांव है । उन गांव के विस्थापितों को पुनर्वास ,मुआवजा और नियोजन नहीं दिया गया है। जिस की लड़ाई हम लड़ रहे हैं,और हमारी मांग है कि डी ,पि ,एल ,आर से नाम मंगवा कर यहां के विस्थापितों को पहले की भांति नियोजन की प्रक्रिया को चालू कराया जाए। झारखंड सरकार के निर्देशानुसार यहां के विस्थापितों को 75% नियुक्ति में बहाल किया जाए, अन्यथा हम यहां काम नहीं होने देंगे । इसके लिए हम आंदोलन करेंगे,और अपना हक लेकर रहेंगे जहां तक ठेका टेंडर का सवाल है, तो प्रबंधन खुद तय करें । और वह प्रक्रिया के तहत यहां के विस्थापितों को प्राथमिकता देते हुए, जिसे चाहे काम दे ताकि यहां के विस्थापितों का विकास हो सके।
रिपोर्ट : नरेश कुमार