L19 DESK : जमीन ब्रोकर शेखर कुशवाहा उर्फ शेखर महतो, बिल्डर प्रियरंजन सहाय, कांट्रैक्टर बिपीन सिंह और रिम्स के रेडियोग्राफर अफसर अली (अब्सू खान) एक ही गैंग के सदस्य थे। एक समय इनका दोस्ताना काफी अधिक था, क्योंकि शेखर कुशवाहा आदिवासी, जनजातीय जमीन को कब्जा करने और उसका फरजी दस्तावेज बनाने का माहिर था। शेखर कुशवाहा और अफसर अली के बीच जमीन के कारोबार को लेकर ही अनबन हुई थी, जिसको लेकर प्रियरंजन सहाय, मो सद्दाम और अफसर अली ने शेखर कुशवाहा के मर्डर का प्लान किया था। इसमें अपराधी बिट्टू सिंह से भी संपर्क किया गया था। शेखर कुशवाहा एक बड़ा जमीन कारोबारी है, जो गाड़ी गांव में रहते हैं। रसूखदार शेखर कुशवाहा के पास बीएमडब्ल्यू, ऑउडी, स्कार्पियो, बोलेरो, थार, स्कोडा, होंडा सिटी जैसी कई गाड़ियां हैं।
इडी ने उसके घर में छापेमारी के समय नोट गिनने की दो मशीनें मंगायी थी। इसके घर से इडी को मात्र 10 लाख रुपये ही मिले। पर सच्चाई कुछ और है। सूत्रों का कहना है कि शेखर कुशवाहा ने इडी की छापेमारी की संभावना को देखते हुए अपने सारे काले कारनामों से संबंधित दस्तावेज और काला धन दूसरी जगह स्थानांतरित कर दिया था। इसका मूल निवास बेड़ो है, जो रांची से 20 किलोमीटर दूर है। इसके अलावा कोलकाता, असम, नयी दिल्ली में भी इसके कई चल और अचल संपत्ति है। शेखर कुशवाहा अफसर अली गैंग का सबसे खतरनाक प्यादा था, जो ट्राइबल की जमीन बिल्डर प्रियरंजन सहाय के साथ मिल कर हथिया लेता था। इसका फरजी डीड कोलकाता में तैयार होता था। भाजपा, झामुमो, कांग्रेस के बड़े नेताओं के साथ इसकी ट्यूनिंग अच्छी थी, इसलिए पुलिस प्रशासन का साथ हमेशा इसे मिलता था।
इसने सिर्फ रांची में ही 150 से 200 एकड़ ट्राइबल जमीन कब्जा किया है, जिसमें प्रियरंजन सहाय भी शामिल है। इडी के अधिकारियों को इसे भी गिरफ्तार कर अफसर अली और गिरफ्तार अन्य सात आरोपियों से पूछताछ करनी चाहिए। चेशायर होम रोड में 4.48 एकड़ जमीन की अवैध तरीके से खरीद बिक्री शेखर कुशवाहा और प्रियरंजन सहाय ने ही करायी है। इसमें प्रदीप बागची को फाल्स मालिक बनाया गया था। 29 करोड़ से अधिक की जमीन मिट्टी के मोल में बेची गयी। इसमें भ रांची के डीसी रहे छवि रंजन का सहयोग इन्हें मिला है। इसके अलावा रानी बागान की पांच एकड़ जमीन की भी अवैध तरीके से खरीद-बिक्री में यह गैंग शामिल है।