L19 DESK : लोहरदगा जिले के 16 बालू घाटों को लेकर जिला प्रशासन की ओर से निकाली गई निविदा को लोहरदगा डीसी ने रद्द कर दिया है, बताते चले कि बीते सप्ताह इन बालू घाटों कि बंदोबस्ती के लिए निविदा आमंत्रित की गई थी।तकनीकी कारणों का हवाला देकर डीसी ने इस निविदा कों तत्काल के लिए रद्द कर दिया है।जिले में बालू को लेकर बहुत बड़ी समस्या उत्पन्न हो रही है। ऐसे भी प्रत्येक वर्ष मई माह तक ही बालू उठाव संपन्न हो पाता है। जून माह से बारिश शुरू हो जाती है। जिला प्रशासन की शिथिलता कहें या लापरवाही इसके बीच विकास कार्य के साथ साथ लोगों का निजी कार्य भी पीस रहा है। कंस्ट्रक्शन का सभी कार्य बालू के अभाव में बंद पड़ा है।
जिला प्रशासन के पहले से कुछ एक स्थानों पर बालू का स्टॉक किया गया था, वह भी खत्म हो चुका है। जिला प्रशासन जिले के लगभग 20 स्थानों के बालू घाटों का सर्वे करा रही है, परंतु कब तक यह कार्य पूर्ण होगा और कब तक बालू घाटों का नीलामी होगा यह समझ से परे है। पीएचईडी विभाग के द्वारा स्वच्छता टारगेट के अनुसार कचरा प्रबंधन के साथ-साथ नाडेफ टैंक, तरल कचरा, सूखा कचरा निपटारा के लिए टैंक, सोख्ता गड्ढा सहित अन्य कचरा निपटारा के लिए कार्य किया जाना है। प्रखंड अंतर्गत विभिन्न पंचायतों में यह कार्य शुरू भी होना है, परंतु बालू के अभाव के कारण सीमेंट, ईंट डंप कर छोड़ दिया गया है। बालू के अभाव के कारण कार्य कहीं-कहीं शुरू भी नहीं हुआ है और कहीं अधर में लटका हुआ है। ऐसे में विकास कार्य नहीं हो पा रहा है। वही विकास कार्य नहीं होने से जनता प्रशासन व सरकार से कई तरह के सवाल खड़े कर रहे हैं।
यदि जिला प्रशासन व सरकार बालू घाट का जल्द टेंडर नहीं करती है, तो विभिन्न विकास कार्यों के मद्देनजर स्थानीय पंचायत के जनप्रतिनिधियों को बालू सप्लाई की जिम्मेवारी सौंप सकती है। जिससे सरकार को रेवेन्यू भी मिलेगा और क्षेत्र का विकास भी होगा। स्थानीय ग्रामीण लाल मोहन साहू, अशोक रजक, प्रदीप उरांव, दानवीर राम, अरुण कुमार ने कहा कि बालू सप्लाई नहीं होने से कई कार्य बाधित हो रहे हैं। निजी के अलावे सरकारी कंट्रक्शन, बिल्डिंग निर्माण, आवास निर्माण, नाली निर्माण, पीसीसी निर्माण जैसे कार्य भी अधूरे पड़े हैं। जिला प्रशासन यदि पहल करती है, तो अस्थाई बालू सप्लाई का वैकल्पिक व्यवस्था कर सकती है। लेकिन इस ओर किसी भी जिला प्रशासन, विधायक व संसद का ध्यान नहीं जा रहा है।