L19/DESK : झारखंड में पिछले एक वर्ष में 694 बच्चे लापता हो गए, इनमें से 560 बच्चों का पता चल गया और 134 बच्चों का अब तक कोई सुराग नहीं मिला है। गौर करने वाली बात यह है कि इन 134 में से 122 बच्चे जमशेदपुर के हैं। इस आंकड़े के आते ही झारखंड में बाल अपराध, बाल मजदूरी और मानव तस्करी जैसे अपराधों की भयावह स्थिति फिर उजागर हो गया है। ध्यान देने योग्य बात है कि इन लापता बच्चों में से कई बच्चों को दूसरे राज्यों में श्रमिकों के रूप में ले जाया जाता है,तो कई अपराध के दलदल में फंस जाते हैं और कइयों को मानव तस्कर अलग-अलग उद्देश्यों के लिए इस्तेमाल करते हैं। मानव तस्करी का शिकार हो जाते हैं बच्चे जमशेदपुर में बच्चों के अधिक लापता होने की शिकायतों के बाद अब यहां मानव तस्करी व लापता लोगों की तलाश के लिए अलग सेल का गठन किया जा रहा है।
बताते चलें कि राज्य सरकार द्वारा कोल्हान में मानव तस्करी को रोकने के लिए विशेष थाना चाईबासा में बनाया गया है। वहीं जमशेदपुर में 8 ऐसे मामले भी हैं, जिसमें लड़कियों को अच्छे वेतन पर काम कराने के लिए ले जाया गया, लेकिन, उनकी कई वर्ष अधिक उम्र के लोगों से शादी कर दी गई। इसका भी ब्योरा जिले के हर थाने से मांगा गया है, ताकि उनके संपर्कों का पता लगाया जा सके। बीचे-बीच में कई खबरें ऐसी आती है जबकि रेलवे स्टेशनों से काम का झांसा देकर दूसरे प्रदेशों में ले जाई जा रही बच्चियों को सीडब्ल्यूसी द्वारा रेस्क्यू किया गया या फिर दूसरे प्रदेशों से रेस्क्यू कर झारखंड लाया गया। लड़कियों के लिए अलग सेल का किया गठनपूर्वी सिंहभूम के एसएसपी प्रभात कुमार ने बताया कि हर थाने से लापता बच्चों के साथ ही जिन थानों में लड़कियों को दूसरे राज्य में ले जाकर वहां किसी दूसरे के हाथों सौंपने का मामला है, उसे अलग से जांच के दायरे में रखा गया है। इसके लिए सेल बनाया जा रहा है और उसी के अनुसार कार्रवाई की जाएगी।