L19/Ranchi : स्वास्थ्य विभाग की ओर से दवा खरीद घोटाला की तहकीकात के लिए 3 सदस्यीय कमेटी का गठन किया गया है। इसमें मिशन निदेशक भुवनेश प्रताप सिंह, अपर सचिव जय किशोर प्रसाद और संयुक्त सचिव आलोक त्रिवेदी शामिल हैं। कमेटी के सदस्यों को 1 माह का समय दिया गया है, जिसमें उन्हें अपनी रिपोर्ट जांच कर विभाग के समक्ष पेश करनी है।
विधानसभा में विधायक सरयू राय ने दवा खरीदी में अनियमितता का मामला उठाया था। उन्होंने इस मामले पर सरकार से जवाब की मांग की थी। विधायक के आरोप के अनुसार, सरकार द्वारा कंपनियों से अधिक दर पर दवा खरीदे गये हैं। निजी दवा कंपनियां सरकार को कम दर पर दवा देने के लिए तैयार थीं। मगर टेंडर रद्द कर दवाओं को अधिक दाम पर खरीदा गया। प्रत्येक दवाओं की कीमत में 3 से 4 गुना का अंतर है। जिस दवा कंपनी से खरीददारी की गयी, उसका सीएनएफ कांग्रेस के एक कार्यकारी अध्यक्ष रहे नेता के पास मौजूद है।
इस संबंध में स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता ने सदन में आरोप को खारिज किया था। मंत्री के अनुसार, किसी तरह की अनियमितता नहीं हुई है। केंद्र सरकार की एजेंसी से दवाओं की खरीदी की गयी है। केंद्र सरकार की गाइडलाइन का पालन हुआ है।
विधायक सरयू राय ने आरोप लगाते हुए कहा कि दवा खरीद का निर्णय कैबिनेट का था। इसमें 3 छोटे पदाधिकारी क्या जांच करेंगे? इस जांच का कोई नतीजा नहीं आनेवाला है। घोटाले में कोई अदृश्य शक्ति काम कर रही है, जो विभाग का अपने अनुसार संचालन कर रही है। मामले में यूनिफार्मा को एजेंट बनाया गया है, जिसे 11-12 फीसदी कमीशन दिया गया है। इसमें मुख्यमंत्री के करीबी समेत केंद्र सरकार की एजेंसी शामिल है।
उन्होंने सरकार से मामले की जांच सीबीआइ से कराने की मांग की। विधायक ने कहा कि हर जगह प्रावधान का उल्लंघन हुआ। सरकार के टेंडर से खरीदे जाने वाले दवाओं के दाम आधे हैं। उधर, केंद्र सरकार की कंपनी से दोगुने दाम पर खरीदी की गयी है। सारी चीजें के दस्तावेज मौजूद हैं। विभागीय अधिकारी को सब पता है। फिर विभागीय स्तर पर जांच की क्या जरूरत है? अब इस मामले की जांच किसी बड़े एजेंसी से करायी जाये।