राँची:राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री और 5 साल का कार्यकाल पूरा करने वाले एकमात्र सीएम रघुवर दास की मुश्किलें अब बढ़ने वाली हैं उनसे जुड़े एक घोटाले के केस में झारखंड हाईकोर्ट ने संज्ञान लिया है। दरअसल, साल 2016 और 2017 में झारखंड स्थापना दिवस के नाम पर टीशर्ट और टॉफी के घोटाले का मामला सामने आय़ा था। घोटाला ऐसा, कि एक दिन पहले ही बिना किसी टेंडर के करोड़ों रुपये खर्च करके टीशर्ट और टॉफी खरीदे गये, और अगले दिन ही उसे 5 लाख बच्चों के बीच बांट भी दिया गया। झारखंड स्थापना दिवस के नाम पर एक मशहूर बॉलिवुड सिंगर का स्टेज परफॉर्मेंस आय़ोजित किया गया, और 1 घंटे के इस कार्यक्रम के लिये 55 लाख रुपये धड़ल्ले से खर्च कर दिये गये। और ये पैसे किसी और के नहीं, बल्कि झारखंड की जनता के ही थे, जिसे टैक्स के रूप में वसूला जाता है। ये मामला जब प्रकाश में आय़ा, तो इस पर संज्ञान लेने का आग्रह करते हुए पंकज कुमार यादव नामक एक शख्स ने हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की थी। अब इस मामले में सुनवाई करते हुए अदालत ने सरकार को एंटी करप्शन ब्यूरो की प्रारंभिक जांच रिपोर्ट औऱ महालेखाकार की ऑडिट रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया है। रिपोर्ट दायर करने के लिये 2 सप्ताह का समय दिया गया है।
क्या था टी-शर्ट घोटाला
आखिर इसका खुलासा कैसे हुआ और अब तक क्या क्या जानकारी सामने आयी है। वहीं कोर्ट में प्रार्थी की ओर से कुछ अहम तथ्य भी पेश किये गये हैं, जिससे रघुवर दास को झटका लग सकता है। लेकिन जो दर्शक यहां नये हैं, और पहली बार इस वीडियो के माध्यम से जुड़ रहे हैं, उनसे अपील है कि हमारे चैनल लोकतंत्र 19 को फेसबुक पर फॉलो और यू ट्यूब पर जरूर से सब्सक्राइब कर लें। तो जोहार आप देखना शुरु कर चुके हैं लोकतंत्र 19, और मैं हूं आपके साथ अंशु। सबसे पहले जानते हैं कि ये टॉफी टीशर्ट घोटाला आखिर है क्या, क्या है पूरा मामला। तो बात दरअसल, साल 2016 के नवंबर महीने की है, जब राज्य में रघुवर दास की सरकार थी। उस दौरान झारखंड स्थापना दिवस के मौके पर राज्य सरकार ने समारोह की सुबह प्रभात फेरी में शामिल होने वाले 5 लाख बच्चों को देने के लिये एक प्रिंटेड टी शर्ट और टॉफी का पैकेट खरीदा था। अब आपको जानकर हैरानी होगी कि 37 लाख की टॉफी और करीब 6 करोड़ की टीशर्ट खरीदने के लिये रघुवर सरकार ने कोई टेंडर नहीं निकाला, न किसी तरह की जानकारी पहले से विभाग को दी गयी थी। इतनी बड़ी खरीदारी नॉमिनेशन के आधार पर की गयी। और इसके लिये बहाना ऐसा बनाया कि आपकी भी हंसी छूट जायेगी। सरकार का कहना था कि समय की कमी है, और इतने बड़े आयोजन को धरातल पर भी उतारना है। तो ऐसे में प्रस्ताव लेकर आना, फिर टेंडर निकालना, टेंडर पास करना उसके बाद खरीदारी करना बड़ी लंबी प्रक्रिया है. और इस तरह से इस पूरी प्रक्रिया को ड्रॉप करके करोड़ों की खऱीदारी यूं ही चुटकियों में कर ली गयी।
अब जहां से इन आइटम्स की खरीदारी भी की गयी, वहां की कहानी भी बड़ी दिलचस्प है। दरअसल, राज्य सरकार ने टॉफी को जमशेदपुर के सिदगोड़ा स्थित लाला इंटरप्राइजेज से खरीदा औऱ जमशेदपुर के ही प्रकाश शर्मा के तहत कुड़ु फैब्रिक्स लुधियाना से टी-शर्ट की खरीदारी की गयी थी। मज़े की बात ये है कि राज्य सरकार ने पहली बार इन कंपनियों से कोई सामग्री खरीदी थी, जबकि सरकार की ओर से बताया गया था कि इन्हें नॉमिनेशन के आधार पर चुना गया है। जब इस पर जांच बैठी तो, पता चला कि लाला इंटरप्राइजेज ने न तो एक भी टॉफी खरीदा, औऱ न ही बेचा, लेकिन साजिश के तहत सरकार से 35 लाख रुपये का चेक ले लिया औऱ उस पर बिक्री करके करीब 4 लाख रुपये का भुगतान भी कर दिया। इसमें वैल्यू ऐडेड टैक्स भी शामिल था। इस पर संज्ञान लेते हुए राज्य सरकार के वाणिज्य कर विभाग ने टॉफी की बिक्री छुपाने के लिये लाला इंटरप्राइेज पर 17 लाख रुपये से ज्यादा का जुर्माना भी लगाया था। इसी तरह कुड़ु फैब्रिक्स लुधियाना के स्थानीय एजेंट और जमशेदपुर के कदमा निवासी प्रकाश शर्मा के जरिये 5 करोड़ रुपये की टी-शर्ट की खरीद दिखाई गयी थी। टी-शर्ट की इतनी बड़ी खेप लुधियाना से रांची, जमशेदपुर, धनबाद सड़क मार्ग से पहुंची या रेल मार्ग से, इसकी जानकारी कॉमर्शियल टैक्स विभाग को भी नहीं। इसके लिए रोड परमिट भी नहीं दिया गया। इसके बावजूद भुगतान कैसे पूरा हो गया, ये तो किसी के समझ से परे था। इस पर संज्ञान लेते हुए वाणिज्य कर विभाग ने पंजाब सरकार से इससे संबंधित जानकारी भी मांगी थी। वहीं, प्रारंभिक जांच में यह भी खुलासा हुआ कि 15 नवंबर 2016 को पूर्व निधारित कार्यक्रम के बीच एक घंटे के लिए मशहूर बॉलिवुड सिंगर सुनिधि चौहान के स्टेज परफॉर्मेंस का आयोजन किया गया था, जिसके लिये राज्य सरकार ने धड़ल्ले से 55 लाख रुपये खर्च कर दिये। इससे पहले 9 नवंबर 2016 को तत्कालीन मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में हुई बैठक में सीएम के आप्त सचिव ने सुनिधि चौहान को बुलाने का प्रस्ताव रखा था। इस 1 घंटे के कार्यक्रम के लिये करीब 44 लाख रुपये का खर्च बताया गया और ये प्रस्ताव स्वीकृत भी हो गया, लेकिन इसके बावजूद कुल भुगतान 55 लाख रुपये दिखाया गया। इससे तीन दिन पहले 6 नवंबर 2016 को छठ पूजा के पावन अवसर पर जमशेदपुर के सूर्य मंदिर परिसर में भी सुनिधि चौहान के गीत का कार्यक्रम हुआ था। तत्कालीन मुख्यमंत्री रघुवर दास ही उस समय सूय मंदिर समिति के संरक्षक थे। अब सवाल उठने लगा कि सूर्य मंदिर समिति ने सुनिधि चौहान को कितने का भुगतान किया था या दोनों ही कार्यक्रमों का भुगतान रघुवर दास ने सरकारी खजाने से किया था।
इसके अलावा, रांची शहर में एक दिन की सजावट पर बिजली विभाग ने 15 नवंबर 2016 को 4 करोड़ रुपये से अधिक का खर्च दिखाया। कुल मिलाकर यह खर्च करीब साढ़े 9 करोड़ रुपये का दिखाया गया। सरकार को ये खर्च भी कम लग रहा था, इसलिये इसी तरह के कार्यक्रम का आय़ोजन अगले साल भी किया गया, इसके लिये बिजली का खर्च और 3 करोड़ रुपये बढ़ गया। बिजली विभाग ने साल 2017 के आय़ोजन के दौरान का कुल खर्च 12 करोड़ रुपये से ज्यादा का दिखाया। 2017 में फिर से प्रभात फेरी के लिए टॉफी -टीशर्ट की खरीदारी की गयी, लेकिन इस बार टॉफी जुगसलाई की मां लक्ष्मी भंडार से खरीदी गयी और टी-शर्ट आदित्यपुर के प्रतीक फैबिनेट से खरीदी गयी।
इसके बाद साल 2021 के जून महीने में झारखंड पुलिस के एंटी करप्शन ब्यूरो ने राज्य सरकार से मांगी जांच शुरु करने की अनुमति मांगी थी। अब तक रघुवर सरकार का तख्तापलट भी हो चुका था, और मुख्यमंत्री की कुर्सी हेमंत सोरेन के नाम हो चुकी थी। तब इस पर सोंच विचार करने के बाद फरवरी 2022 में हेमंत सोरेन ने एसीबी को इस मामले में जांच बैठाने की इजाजत दे दी थी। ये मामला दरअसल, विधायक सरयू राय ने ही उजागर किया था। सरयू राय ने एसीबी को आवेदन देकर पूरे मामले की जांच का आग्रह किया था। उन्होंने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को पत्र लिखकर आग्रह भी किया था कि राज्य को बदनाम करने वाले इस घोटाले की जांच एसीबी या सीबीआइ से कराई जाए, ताकि इस घोटाले की निष्पक्ष जांच हो सके और दोषी को कड़ी से कड़ी सज़ा हो सके। उन्होंने इस घोटाले को मैनहर्ट से भी ज्यादा गंभीर बताया था। उन्होंने इस मामले को सदन में भी उठाया था, जिसके बाद विधानसभा की एक कमिटी ने भी अपने स्तर से इस पर जांच बैठाया था। साथ ही साथ झारखंड हाईकोर्ट में भी इस संबंध में एक रिट याचिका दायर की गयी थी, जिस पर सुनवाई जारी है। बीते दिनों जब इस मामले में सुनवाई हुई तो प्रार्थी की ओर से कुछ बहुत अहम और दिलचस्प दलीलें पेश की गयीं, जिससे रघुवर दास को ओडिशा में बैठे बैठे ही बड़ा झटका लग सकता है। प्रार्थी ने कोर्ट को बताया कि 15 नवंबर साल 2016 को राज्य स्थापना दिवस के मौके पर सरकार ने स्कूली बच्चों के बीच टी शर्ट औऱ टॉफी वितरण का निर्णय लिया था। उसी साल 13 और 14 नवंबर को खरीदारी की गयी, और 15 नवंबर को ही सभी बच्चों के बीच इसे बांट दिया गया। झारखंड राज्य शिक्षा परियोजना परिषद के नोडल अफसर ने 14 नवंबर 2016 को टीशर्ट औऱ टॉफी प्राप्त की। उसे अगले ही दिन 15 नवंबर की सुबह में 5 लाख बच्चों के बीच बांट दिया गया। जबकि दिलचस्प बात ये है कि सरकार के पास ऐसी कोई मशीनरी है ही नहीं, जिससे एक ही दिन में सामग्री प्राप्त करके उसे अगले दिन सुबह तक पहुंचा कर बांट दिया जाये। कुछ बच्चों को टॉफी और टीशर्ट बांटकर कागज पर इसे पूरा दिखा दिया गया है। महालेखाकार ने भी टीशर्ट औऱ टॉफी वितरण में गड़बड़ी की बात कही है। एजी की रिपोर्ट में भी इस पर आपत्ति जतायी गयी है। वहीं, राज्य सरकार की ओर से दलील दी गयी कि इसमें किसी तरह का फाइनेंशियल लॉस नहीं हुआ है। अब इस मामले में अगली सुनवाई 31 जुलाई को होगी। अब देखना ये होगा कि इस घोटाले में आगे कोर्ट क्या फैसला लेता है, इस घोटाले का सच बाहर आता है या नहीं, घोटाले को अंजाम देने वाले दोषियों को सज़ा होती है या नहीं। वैसे आपका इस पर क्या विचार है, ये हमें कमेंट करके जरूर बतायें।
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