BAP :जैसे-जैसे झारखंड विधानसभा चुनाव नज़दीक पहुंच रहा हैं. राज्य में राजनीतिक दलों की हलचलें बढ़ गई हैं. जहां एक और इंडिया महागठबंधन दोबारा सत्ता में काबिज होने के लिए दमखम लगा रहा है, वहीं प्रमुख विपक्षी गठबंधन ऐनडीए 2019 में सत्ता खोने के बाद फिर से वापसी के लिए लालायित हैं। ऐसे में 2024 का विधानसभा चुनाव काफी दिलचस्प होने वाली है। दूसरी और साल 2024 के लोकसभा चुनाव में JBKKS के राजनीति में सक्रिय भागीदारी ने झारखंड की राजनीति को काफी प्रभावित भी किया है वहीं अब एक और राजनीतिक दल के झारखंड में प्रवेश होने से राज्य की राजनीतिक समीकरण में बदलाव की संभावना लोगों को दिख रही है। भारत आदिवासी पार्टी यानी बाप पार्टी की जो आज यानि 9 जुलाई 2024 मंगलवार को राजधानी रांची में आदिवासी समागम करके अपनी मजबूत उपस्थिति दिखाई. ऐसे में आदिवासी बहुल राज्य झारखंड में इस नए पार्टी के एंट्री से राजनीतिक समीकरण में क्या और कैसा प्रभाव पड़ेगा? यह देखना काफी दिलचस्प होने वाली है।
BAP के आने से क्या बदल जाएगी राजनेतीक समीकरण
आज से महज 8 से 10 महीने पहले 10 सितंबर 2023 को राजस्थान के आदिवासी नेताओं के द्वारा भारत आदिवासी पार्टी की नींव रखी गई थी, जिसका मुख्यालय राजस्थान के डूंगरपुर जिले में स्थित है और वर्तमान में इसके राष्ट्रीय अध्यक्ष मोहनलाल रावत हैं। इस पार्टी ने अपने छोटे से समयअवधि में ही राजस्थान,मध्यप्रदेश,महाराष्ट्र,गुजरात जैसे आदिवासी बहुल राज्यों में भारतीय जनता पार्टी,कांग्रेस एवं अन्य लोकल पार्टियों के सामने न सिर्फ चुनौती पेश की है बल्कि हाल ही में सम्पन्न हुए विधानसभा चुनाव में चार सीटों पर अपनी जीत भी हासिल की है,वहीं अब इस पार्टी ने अपना पहला सांसद राजकुमार रावत के रूप में 2024 लोकसभा चुनाव के तहत सदन में भेज दिया है। वहीँ अगर बात करें तो बीते विधानसभा चुनाव में भारत आदिवासी पार्टी ने राजस्थान के बांसवाड़ा,डूंगरपुर लोकसभा क्षेत्र के आठ विधानसभा क्षेत्र में से पांच क्षेत्र में पहले दूसरे स्थान पर रहकर अन्य पार्टियों को चौंका दिया था। और अपने प्रमुख उद्देश्य में बाप पार्टी का कहना है कि ‘भारत आदिवासी पार्टी आदिवासी समुदायों के जीवन को बेहतर बनाने के लिए समर्पित है। उनका कहना है की वे सरल, रोजमर्रा के शब्दों और कार्यों में विश्वास करते हैं जो सकारात्मक बदलाव लाते हैं। हम यह सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध हैं कि आदिवासी लोगों की शिक्षा, स्वास्थ्य देखभाल और आर्थिक अवसरों तक पहुंच हो, ताकि वे गरिमा और सम्मान के साथ पूर्ण जीवन जी सकें।भारत आदिवासी पार्टी पर्यावरण को लेकर काफी चिंतित है. हम अपनी प्राकृतिक दुनिया की सुरक्षा और संरक्षण के लिए अथक प्रयास करने की प्रतिज्ञा करते हैं। हम उन नीतियों का समर्थन करेंगे जो स्वच्छ ऊर्जा को बढ़ावा देती हैं, प्रदूषण को कम करती हैं और वर्तमान और भविष्य की पीढ़ियों के लाभ के लिए हमारे बहुमूल्य पारि स्थितिकी तंत्र की रक्षा करती हैं।“ऐसे में झारखंड जैसे आदिवासी बहुल राज्य में भारत आदिवासी पार्टी का आगमन कहीं ना कहीं यहां की राजनीति को प्रभावित जरूर करेंगे वैसे आपको जानकारी के लिए बता दूँ झारखंड में कुल आबादी के लगभग 26% यानी 1 करोड़ के आसपास आदिवासियों की जनसंख्या है जो यहां की राजनीति समीकरण को प्रत्यक्ष रूप से काफी प्रभावित करते हैं! साथ ही झारखंड सीएनटी, एसपीटी एक्ट और पेशा रूल और पांचवी अनुसूची के अंतर्गत आने वाले भारत का एक प्रमुख राज्य भी है जहां आदिवासी भावनात्मक रूप से पूरे देश के लिए राजनीति के विषय बनते हैं जहां का मुख्यमंत्री से लेकर प्रमुख पदों में आदिवासी की भूमिका अग्रणी होती है। साथ ही साथ जहां की राजनीति ही आदिवासी से शुरू होती है और आदिवासी पर ही खत्म भी होती है ,,,.ऐसे में भारत आदिवासी पार्टी का झारखंड में आगमन होने से प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से यहां के क्षेत्रीय एवं राष्ट्रीय पार्टियों को प्रभावित जरूर करेगा।रहा बात प्रभावितका तो वो इसलिए करेगा क्योंकि साल 2000 में बिहार राज्य से अलग होने के बाद से अब तक राज्य में आदिवासियों के हक अधिकार उनकी विशेष परंपरा यानी आदिवासी धरम कोड, स्थानीय नियोजन नीति, जल जंगल जमीन की बढ़ती लूट, विस्थापन की समस्या जैसे मामले पर आज तक कोई भी राजनीतिक दल या गठबंधन सरकार पूर्ण रूप से ध्यान नहीं दे पाई है। ऐसे में आदिवासी समाज अपने को ठगे ठगे से महसूस करते रहे हैं और ना चाहते हुए भी इन क्षेत्रीय और राष्ट्रीय दलों के साथ रहते हैं लेकिन अब उन्हें विकल्प के रूप में भारत आदिवासी पार्टी मिलने वाला है। तो हो ना हो आज या कल अगर सही से इस पार्टी को झारखंड में क्रियान्वित किया गया तो आने वाले समय में झारखंड के राजनीतिक समीकरण में काफी बदलाव आ सकता है। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि भारत आदिवासी पार्टी की गतिविधि राज्य में कैसी रहेगी? क्योंकि राज्य की अधिकतर आदिवासी संगठन के बड़े आदिवासी लीडर्स जिसमें अखिल आदिवासी विकास परिषद रांची जिला अध्यक्ष, आदिवासी जन परिषद के प्रदेश अध्यक्ष प्रेमशाही मुंडा आदिवासी सेना के प्रदेश अध्यक्ष अजय कच्छप सहित कई नामी आदिवासी चेहरे इस पार्टी का दामन थामने वाले हैं ऐसे में 2024 का विधानसभा चुनाव में इन बड़े आदिवासी नेताओं के आने से कहीं ना कहीं क्षेत्रीय और राष्ट्रीय दलों को नुकसान तो पहुँचने वाला है।