वर्तमान में झारखंड का वह रेलवे स्टेशन जो एक वक़्त में सबसे प्रचलित रेलवे स्टेशन में की गिनती में आता था पर आज अपने वर्तमान को देखकर राजमहल रेलवे स्टेशन रो रहा होगा राजमहल रेलवे स्टेशन का इतिहास जानने के लिए हमें इतिहास के पन्नों को पलटना होगा आज से लगभग कई वर्षों पहले यानी फरक्का बैराज बनने से पहले, उत्तरी बंगाल और असम के लिए ट्रेनें राजमहल/आरजेएल और फरक्का/एफकेके तक चलती थीं, फिर यात्री फेरी द्वारा गंगा पार करके आगे बढ़ते थे। फरक्का बैराज बनने और 1971/72 में रेल-सह-सड़क पुल खुलने के बाद, फरक्का स्टेशन को बंद कर दिया गया और फरक्का स्टेशन की ओर जाने वाली लाइनें हटा दी गईं। 1972 से राजमहल स्टेशन ने ट्रेन-फेरी क्रॉसिंग स्टेशन के रूप में अपना महत्व खो दिया। राजमहल से कोलकाता, पटना और दिल्ली जाने वाली ट्रेनें वापस ले ली गईं। अब राजमहल और तीनपहाड़ जंक्शन के बीच केवल अनियमित शटल सेवा ही चल रही है। राजमहल रेलवे स्टेशन सियालदह जंक्शन रेलवे स्टेशन से 328 किलोमीटर (204 मील) और हावड़ा जंक्शन रेलवे स्टेशन से 314 किलोमीटर (195 मील) दूर स्थित है। पर पर इसके बावजूद अमृत भारत स्टेशन के तहत राजमहल रेलवे स्टेशन का चयन किया गया बड़ा यदि रेलवे स्टेशन फिर से भ्रष्टाचार का शिकार होता नज़र आ रहा है आपको बता दें कि लगातार मीडिया में ख़बरें आ रही थी की राजमहल रेलवे स्टेशन में जो अमृत भारत के तहत जरनोउद्धार का कार्य चल रहा है उसमें घटिया क़िस्म की सामग्री का प्रयोग किया जा रहा है इसके बावजूद ठेकेदार और आप उनसे मिले हुए पदाधिकारियों के द्वारा अपने मुनाफ़े के लिए राजमहल रेलवे स्टेशन को फिर से ख़राब करने की रणनीति चल रही है इस मौसम के शुरुआती बारिश में ही है यह रेलवे स्टेशन की छत से पानी आ रही थी और दीवारों में पुटटी होने के बावजूद रेलवे स्टेशन की छत की दीवार से पानी गिरना भ्रष्टाचार को दर्शा रहा है हालाँकि लगातार DRM राजमहल रेलवे स्टेशन की जाँच करते आ रहे हैं इसके बावजूद भी ठेकेदार अपने मनमाने रवैये से बाज़ नहीं आ रहे हैं ना इन्हें शासन का डर है और न ही प्रशासन का ।