Akshay Kumar Jha
Ranchi : कोई भी थोड़ा सा रसूख वाला आदमी, झारखंड से दिल्ली जाता है तो उसकी पहली ख्वाहिश यह होती है कि उसे दिल्ली के झारखंड भवन में कमरा मिल जाए. वो भी नए वाले में. नेता, अधिकारी और तमाम ऐसे लोग. लेकिन झारखंड सरकार के मंत्रीमंडल सचिवालय एवं निगरानी विभाग की तरफ से सपष्ट आदेश है कि सिर्फ अधिकारी या महानुभाव के परिवार वाले ही झारखंड भवन में रह सकते हैं. मसलन पति, पत्नि, मां-पिता, संतान आदि. जब से यह आदेश विभाग की तरफ से निकाला गया, महानुभावों ने अपने सभी जानने वाले जिन्हें झारखंड भवन में रुकना होता था, उसे अपना परिवार बनाने लगे.

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नौ दिसंबर को Loktantra19.com ने यह खबर प्रमुखता से चलाई. मामला कांग्रेस के पूर्व मंत्री और विधायक रामेश्वर उरांव से जुड़ा था. वो दो कांग्रेस के नेता को झारखंड में ठहरवाने की पैरवी कर रहे थे. वो भी लिखित तौर पर. मामले पर विधानसभा सदन में नेता प्रतिपक्ष की तरफ से चर्चा भी की गयी. बकायदा बाबूलाल मरांडी ने हमारी खबर को अपने मोबाइल के जरिए सदन में दिखाया. लेकिन, अब ताजा मामला झारखंड के एक अधिकारी से जुड़ा हुआ है.

जामताड़ा एसडीएम अनंत कुमार ने भी ऐसा ही किया
वर्तमान जामताड़ा के एसडीएम अनंत कुमार भी इस फेहरिस्त में शामिल हैं. उन्होंने मंत्रीमंडल निगरानी विभाग को एक पत्र लिखा. पत्र में उन्होंने साफ लिखा कि मनोहर पाल और नकुल गुप्ता जो आपस में पिता और पुत्र हैं. उन्हें झारखंड भवन में कमरा दिया जाए. एसडीएम साहब की बात थी, तो विभाग ने मान भी लिया. लेकिन पुख्ता सुत्रों का कहना है कि यह पिता और पुत्र एसडीएम अनंत कुमार के कुछ लगते ही नहीं है. इतना ही नहीं, यह दोनों पिता और पुत्र पंजाब के रहने वाले हैं. फिर भी एसडीएम अनंत कुमार ने इन लोगों को झारखंड भवन में रहने की लिखित तौर पर सिफारिश की. जबकि, किसी भी अधिकारी का पूरा ब्योरा कार्मिक विभाग के पास होता है. बावजूद इसके अधिकारी धड़ल्ले से अपने दोस्तों के लिए कमरा बुक कराने का दबाव विभाग पर डालते हैं. झूठ का सहारा लेते हैं.

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झारखंड भवन में ठहरने पर सरकार ने लगायी है पाबंदी
सरकार के मंत्रीमंडल सचिवालय निगरानी विभाग ने एक आदेश जारी किया. आदेश मुख्य सचिव के अनुमोदन के बाद जारी किया गया. आदेश में कहा गया कि राज्य के विभिन्न महानुभावों द्वारा अनुशंसित व्यक्तियों एवं राज्य सरकार के कनिय पदाधिकारी के झारखंड भवन नई दिल्ली में निजी भुगतान पर कमरा आरक्षण पर निदेशानुसार तत्काल प्रभाव से अगले आदेश तक रोक लगाने का निर्णय लिया गया है. विभाग का कहना है कि सिर्फ महानुभावों के पारिवारिक सदस्य ही दिल्ली झारखंड भवन में ठहर सकते हैं. लिहाजा महानुभाव कि पत्नी या पति. बच्चे या माता पिता ही झारखंड भवन में निजी भुगतान पर ठहर सकते हैं. जिसके बाद से महानुभावों ने अपने किसी भी परिचित को पारिवारिक सदस्य बनाकर अनुशंसा की परंपरा को शुरू कर दी है.
