L19 DESK : आज शुक्रवार को विवादित बहु भाषी फिल्म द केरल स्टोरी की रिलीज केरल उच्च न्यायालय ने पर रोक लगाने से इनकार कर दिया और कहा कि कुल मिलाकर फिल्म के ट्रेलर में किसी विशेष समुदाय को लेकर कुछ भी आपत्तिजनक सामग्री नहीं है. न्यायमूर्ति एन नागारेश और न्यायमूर्ति सोफी थॉमस की पीठ ने कहा कि निर्माताओं ने दलील दी है कि उनकी मंशा भड़काऊ टीजर जारी करने की नहीं था। इस टीजर में एक बयान है जिसमें कहा गया है कि केरल की 32,000 महिलाओं का धर्म परिवर्तन किया गया और वे आतंकवादसंगठन में शामिल हुईं।
सुप्रीम कोर्ट भी फिल्म पर रोक लगाने से इनकार कर चुका है। न्यायमूर्ति नागारेश ने आदेश पढ़कर सुनाया और कहा कि फिल्म के ट्रेलर को देखकर ‘हमने पाया कि ट्रेलर में कुल मिलाकर किसी विशेष समुदाय के प्रति कुछ भी आपत्तिजनक नहीं है। अदालत ने कहा कि केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड (सीबीएफसी) ने फिल्म देखी और पाया कि यह सार्वजनिक रूप से प्रदर्शन के लिए योग्य है। केरल उच्च न्यायालय ने यह भी कहा कि निर्माताओं ने फिल्म के साथ एक डिस्क्लेमर प्रकाशित किया है कि यह फिल्म काल्पनिक है और यह घटनाओं का नाट्य रूपांतरण है और फिल्म इनकी सत्यता की पुष्टि या ऐतिहासिक घटनाओं के तथ्यों की पुष्टि नहीं करती है।
अदालत ने कहा, डिस्क्लेमर के मद्देनजर हम निर्माताओं को फिल्म का प्रदर्शन करने से रोकने के लिए कोई अंतरिम आदेश जारी नहीं कर सकते हैं। उच्च न्यायालय उन याचिकाओं पर सुनवाई कर रहा था जिसमें सीबीएफसी द्वारा फिल्म को सार्वजनिक प्रदर्शन के लिए दिये गये प्रमाणपत्र को रद्द करने सहित इस पर रोक लगाने का अनुरोध किया गया था। याचिकाओं में दलील दी गयी है कि फिल्म गलत धारणा बनाती है और इसके कुछ तथ्यों के कारण केरल के लोगों का अपमान हुआ है। याचिकाओं में फिल्म की रिलीज पर रोक लगाने का अनुरोध किया गया था।
अदा शर्मा अभिनीत द केरल स्टोरी आज शुक्रवार को सिनेमाघरों में रिलीज हुई। फिल्म की कहानी केरल से कथित तौर पर गायब हुईं लगभग 32,000 महिलाओं की खोज पर आधारित है। केरल में मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) और कांग्रेस के अनुसार, फिल्म में किया गया यह दावा सरासर गलत है कि 32,000 महिलाओं का धर्म परिवर्तन किया गया, उन्हें कट्टरपंथी बनाया गया तथा उन्हें भारत एवं दुनिया में आतंकी मिशन में तैनात किया गया। इसी को दरसाय गया है फिल्म में।